फॉरेक्स ट्रेडिंग में, पोजीशन ओपन करना तो केवल शुरुआत है। पोजीशन ट्रेडिंग स्ट्रेटजी फॉलो करने वाले ट्रेडरों के लिए, पोजीशनें कब और कैसे जोड़ें, इसे सीखना अवसरों को अधिकतम करने की कुंजी है। अनुभवी पोजीशन ट्रेडर केवल पोजीशन सेट करने के अलावा, ट्रेड को गतिशीलता से मैनेज करता है, बाजार की स्थितियों अनुसार ट्रेंड बनाता करता है या प्रविष्टियां एडस्ट करता है।
ATFX में, हमारा मानना है कि पोजीशनल ट्रेडिंग तकनीकें समझकर उन्हें दृढ़ जोखिम मैनेजमेंट प्लान में समझदारी से लागू करना, सफलतापूर्वक ट्रेडिंग करने के लिए जरूरी है।
1. पोजीशन ट्रेडिंग क्या है?
पोजीशन ट्रेडिंग लॉंग-टर्म दृष्टिकोण है जहाँ ट्रेडर लॉंग-टर्म के लिए पोजीशनें रखते हैं, आमतौर पर दिनों से लेकर हफ्तों या महीनों तक। इसका लक्ष्य ट्रेड को व्यापक आर्थिक या मौलिक ट्रेंडों से जोड़कर प्रमुख मूल्य चालें पकड़ना है।
यह पूछे जाने पर कि “पोजिशनल ट्रेडिंग क्या है,” इसे स्केल्पिंग या डे ट्रेडिंग के विपरीत समझें। शार्ट-टर्म अस्थिरता पर प्रतिक्रिया की बजाय, पोजीशन ट्रेडर बाजार के मैक्रो व्यू के आधार पर कम, जानबूझकर अधिक ट्रेड करता है। अक्सर यह दृष्टिकोण तकनीकी पुष्टि सहित सपोर्ट करने वाले फंडोमेंटल विश्लेषण पर निर्भर करता है।
2. पोजीशन ट्रेडिंग के पक्ष और विपक्ष
कोई भी पोजीशन ट्रेडिंग स्ट्रेटजी लागू करने से पूर्व, फायदों और ट्रेड-ऑफ का मूल्यांकन जरूरी है। लॉंग-टर्म ट्रेडिंग में स्थिरता हो सकती है, लेकिन यह बिना चुनौतियों के नहीं है।
पक्ष
- ट्रेड की कम आवृत्ति: कम ट्रेड का मतलब है कम ट्रांजेक्शन लागत और कम भावनात्मक दबाव।
- मैक्रो ट्रेंड के अनुरूप होना: आमतौर पर पोजीशन ट्रेडर का मजबूत आर्थिक नेरटिव की सपोर्ट सहित व्यापक ट्रेंड होता है।
- कम स्क्रीन समय: पोजीशनल ट्रेडिंग में निरंतर मॉनिटरिंग नहीं चाहिए, इससे लचीलापन अधिक होता है।
विपक्ष
- धैर्य और अनुशासन अपेक्षित है: विकसित होने में ट्रेड को दिन या सप्ताह लग सकते हैं।
- मैक्रो इवेंट के प्रदर्शन: सप्ताहांत या डेटा रिलीज़ के दौरान होल्ड करने से जोखिम बढ़ता है।
- दीर्घावधि तक गिरावट: बाजार में उलटफेर या समेकन ट्रेडर के विश्वास और पूंजी परख सकते हैं।
इन ट्रेड-ऑफ समझने पर ट्रेडरों को इसका आकलन करने में मदद मिलती है कि क्या पोजीशन ट्रेडिंग उनके व्यक्तित्व, स्ट्रेटजी और जोखिम उठाने की क्षमता के अनुकूल है।
3. पोजीशनें क्यों जोड़ें?
अनेक पोजीशनल ट्रेडिंग तकनीकों में, पोजीशनें जोड़ना पूंजी को मैनेज करने, औसत प्रवेश मूल्य सुधारने या गति बनाने का कुशल तरीका है।
पोजिशनें जोड़ने के फायदे:
- फायदे अधिकतम करें: रिटर्न बढ़ाने के लिए पोजीशनें जोड़कर विजयी ट्रेंड का फायदा उठाएं।
- अनुकूल मूल्य कार्रवाई का लाभ उठाएं: बाजार सिग्नलों के अच्छे अवसर की पुष्टि करने पर पोजीशन जोड़ना
- प्रभावशाली पूंजी लगाना: लचीलापन बनाए रखते हुए धीरे-धीरे स्केलिंग करने से शुरुआती जोखिम कम होता है।
हालांकि, ठोस जोखिम मैनेजमेंट के बिना, जोड़ने से ओवरएक्सपोज़र हो सकता है, विशेषकर बाजार में अचानक बदलाव आने पर।
ट्रेड से पहले, अपने अकाउंट के आकार, जोखिम सहनशीलता और स्टॉप-लॉस स्तर के आधार पर इसे निर्धारित करने के लिए पोजीशन साइज कैलकुलेटर का उपयोग करें कि कितनी इकाइयाँ खरीदनी या बेचनी हैं।
4. पिरामिडिंग – पोजीशन ट्रेडिंग स्ट्रेटजी और तकनीक से जीतने वाले ट्रेड में जोड़ना
पिरामिडिंग पोजीशन ट्रेडर का सामर्थ्य बनाने की स्मार्ट विधि है। इस तकनीक में केवल पुलबैक या ब्रेकआउट पुष्टि के बाद लाभदायक होने पर, पोजीशन जोड़ना शामिल होता है।
यह कैसे काम करता है:
- मामूली आकार में प्रारंभिक पोजीशन ओपन करें।
- जैसे-जैसे कीमत आपके पक्ष में हो, महत्वपूर्ण अंतरालों पर छोटी पोजीशनें जोड़ें।
- मुनाफे के बचाव के लिए ट्रेलिंग स्टॉप या लेयर्ड रिस्क उपयोग करें।
पोजीशन ट्रेडिंग में यह क्यों काम करता है:
शुरुआती जोखिम बढ़ाए बिना जोखिम बढ़ाने के अवास्तविक फायदे का यह उपयोग करता है, जो इसे ट्रेंडिंग मार्केट के सबसे प्रभावी पोजीशनल ट्रेडिंग तकनीकों में से एक बनाता है
इनमें बेहतर उपयोग: मजबूत, दिशात्मक बाजार जहां चाल स्पष्ट और निरंतर हो।
5. एवरेजिंग डाउन – नुकसानदायक ट्रेडों में जोड़ना
अधिक विवादास्पद पोजीशन ट्रेडिंग स्ट्रेटजी एवरेजिंग डाउन है, जहां बाजार के अपने से विपरीत जाने पर ट्रेडर नुकसानदायक पोजीशन में जोड़ता है, जिसका लक्ष्य औसत प्रवेश मूल्य कम करना है।
उदाहरण: आप 1.2500 पर GBP/USD खरीदते हैं। कीमत 1.2450 पर गिरती है, इसलिए आप फिर से खरीदते हैं। जबकि प्रत्येक CFD ट्रेड अलग-अलग होता है, अधिकांश प्लेटफ़ॉर्म संयुक्त औसत प्रवेश मूल्य प्रदर्शित करते हैं, जिससे बाजार में उछाल आने पर रिकवरी आसान होती है।
जोखिम: ट्रेंड आपके विपरीत जाने पर, घाटे का सिलसिला बना रहता है। इस तकनीक में कठोर जोखिम नियंत्रण चाहिए और इसका उपयोग केवल रेंजिंग मार्केट या व्यापक ट्रेंडों में अस्थायी सुधारों में होना चाहिए।
इनके द्वारा बेहतर उपयोग: उच्च विश्वास और निश्चित जोखिम सीमाओं में अनुभवी ट्रेडरों द्वारा होता है।
6. मार्टिंगेल स्ट्रेटजी – आक्रामक रूप से दोगुना करना
मार्टिंगेल प्रणाली औसत को चरम पर ले जाती है, प्रत्येक हारने वाले ट्रेड के बाद पोजीशन का आकार दोगुना करके, एकल जीत में रिकवरी का लक्ष्य होता है।
यह जोखिमपूर्ण क्यों है:
इसका मानना है कि अंततः बाजार उलटेगा। लेकिन लंबे समय तक हारने से अकाउंट खाली हो सकता है। हालांकि इसमें उच्च जोखिम वाले ट्रेडर को आकर्षित हो सकते हैं, लेकिन आमतौर पर पोजीशन वाले ट्रेडरों के लिए यह उपयुक्त नहीं है।
इनके द्वारा बेहतर उपयोग: सावधानी से उच्च मार्जिन लेवल और मजबूत जोखिम मैनेजमेंट बनाए रखने वाले उन्नत ट्रेडर।
7. ग्रिड ट्रेडिंग – नियमित अंतरालों पर पोजीशनें जोड़ना
ग्रिड ट्रेडिंग ट्रेंड दिशा की परवाह किए बिना, बाजार के ऊपर और नीचे निश्चित मूल्य अंतरालों पर खरीद और बिक्री ऑर्डर देती है।
यह कैसे काम करता है:
- पेंडिंग ऑर्डरों का “ग्रिड” बनाएं।
- जैसे-जैसे कीमत में उतार-चढ़ाव होता है, चाल के आधार पर पोजीशनें ट्रिगर और बंद होती हैं।
- फायदों में तेजी आती है।
पोजीशन ट्रेडरों के लिए सबसे बेहतर?
हां, साइडवेज मार्केट में। हालांकि, ट्रेंडिंग मार्केट में, ट्रेड को मैनेज या हेज न किए जाने पर, ग्रिड बड़ी गिरावट का कारण बन सकते हैं।
इनके द्वारा बेहतर उपयोग: रेंज-बाउंड या समेकित बाजारों में, अक्सर इलेक्ट्रॉनिक एडवाइजर (EA) सपोर्ट सहित।
8. पुष्टि से पूर्व स्केलिंग इन – आक्रामक प्रवेश स्ट्रेटजी
पुष्टि से पूर्व कुछ उन्नत ट्रेडर स्केल इन करना चुनते हैं, शुरुआती मूल्य कार्रवाई सिग्नलों के आधार पर छोटी पोजीशन से प्रवेश करते हैं।
इसका उपयोग क्यों करें: ट्रेंड बदलने पर पूंजीकरण का जोखिम जल्द ही आपके सामने होता है। आपके गलत होने की स्थिति में, कम प्रारंभिक आकार के कारण नुकसान कम होता है।
जोखिम: व्हिपसॉ या झूठे ब्रेकआउट में रोके जाने की अधिक संभावना।
इनके द्वारा बेहतर उपयोग: बाजार संरचना को पढ़ने में आश्वस्त कुशल ट्रेडर जो तेजी से बाहर निकलना जानते हैं।
पोजीशन ट्रेडिंग के लिए ATFX के अंतिम विचार
स्पष्टता, अनुशासन और बाजार जागरूकता से निर्देशित होने पर पोजीशन जोड़ना, पोजीशन ट्रेडिंग स्ट्रेटजी मजबूत बनाता है। आप चाहे पिरामिडिंग के साथ ट्रेंड बना रहे हों या ग्रिड सेटअप से रेंज का मैनेजमेंट कर रहे हों, सफलता सही तकनीक चुनने और जोखिम को प्रभावी ढंग से मैनेज करने पर निर्भर करती है।
स्मार्ट तरीके से ट्रेड करने में मदद के लिए ATFX पॉवरफुल टूलों, विशेषज्ञ अंतर्दृष्टि और उन्नत प्लेटफ़ॉर्म सुविधाओं सहित पोजीशन ट्रेडरों को सुसज्जित करता है।
सटीकता से ट्रेड करें। नियंत्रण में रहें। पोजीशन ट्रेडिंग में, बेहतर एंट्री से कोई शुरुआत हो सकती है।